नमस्कार,
भारत (इंडिया) में, देखा गया है की लोग मौसम के बदलते ही बीमारी के चपेट में आ जाते है। इन बीमारियों को हम अंग्रेजी में वायरल के नाम से जानते है। यह बच्चों में ज्यादा देखि गयी है । क्लास में एक बच्चे को वायरल हुआ, तो मान लो सरे बच्चों को हो जायेगा। क्या हमने इस के पता लगाया ? बच्चों को अच्छा भोजन नहीं देते ? क्या हम परिवार की सेहत के लिए कोई कसर छोड़ देते है ? लगता है हम कहीं कुछ भूल कर रहे है।
हमारे घर बहुत साफ़ सुथरे है। बच्चों को हम स्वछता से रहना, खाना, पीना सीखाते है। हम उन्हें गन्दगी में खेलने नहीं देते। परन्तु फिर भी वायरल हो ही जाता है, क्यों ? हम कहाँ चुक जाते है। दक्षिणी एशिया, खासकर भारत को वरदान मिला है की हम एक साल में ६ मौसम का आनंद ले सकें । परन्तु हर मौसम बदलने पर हमें वायरल का वार सहन करना पड़ता है और बच्चे बीमार हो जाते है। यह बरसात व ठण्ड के मौसम में ज्यादा देखा गया है।
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चलिए देखते है हम अपने आप को और परिवार को, घरेलु नुस्खों से कैसे सुरक्षित रख सकते है। यद्यपि यह नुस्खे हमेशा करने पर, हम अपने परिवार सदस्यों का स्वास्थ ठीक रख सकते है।
निम्नलिखित काढ़ा एक व्यक्ति के लिए है , आप अपने हिसाब से परिवार के सदस्यों अनुसार इसमें बदलाव कर सकते है।
१. एक हरा आँवला (बिना बीज के)
२. तुलसी के ७ पत्ते
३. पुदीना के ७ पत्ते
४. ७ काली मिर्च
५. आधा इंच अदरक
६. आधा इंच हरी हल्दी (ठण्ड के मौसम में ज्यादा मिलती है )
ऊपर दी हुई साड़ी चीजों को कुचल लें और १ गिलास पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर उसे छानले। इस काढ़े को गरम ही सेवन करे। सुबह खाली पेट लेना चाहिए और इस ग्रहण करने के पश्चात आधे घंटे तक कुछ भी न लें।
हर दो अथवा तीन के अंतर पर आप ले सकतें है। यद्यपि बहुत ठण्ड होने पर, इसे प्रति दिन लिया जा सकता है।

नोंध : जो व्यक्ति रोज गौ मूत्र का सेवन करता है, उसे यह काढ़ा लेने की आवस्यकता नहीं होती। :-)
धन्यवाद ...
- गव्यसिद्धा अमिताभ भटनागर
amitabh_bhatnagar@gavyachetna.com
MD &CEO
मलती गौषधि प्रा. ली.
For Panchgavya related products, please visit www.gavyachetna.com
भारत (इंडिया) में, देखा गया है की लोग मौसम के बदलते ही बीमारी के चपेट में आ जाते है। इन बीमारियों को हम अंग्रेजी में वायरल के नाम से जानते है। यह बच्चों में ज्यादा देखि गयी है । क्लास में एक बच्चे को वायरल हुआ, तो मान लो सरे बच्चों को हो जायेगा। क्या हमने इस के पता लगाया ? बच्चों को अच्छा भोजन नहीं देते ? क्या हम परिवार की सेहत के लिए कोई कसर छोड़ देते है ? लगता है हम कहीं कुछ भूल कर रहे है।
हमारे घर बहुत साफ़ सुथरे है। बच्चों को हम स्वछता से रहना, खाना, पीना सीखाते है। हम उन्हें गन्दगी में खेलने नहीं देते। परन्तु फिर भी वायरल हो ही जाता है, क्यों ? हम कहाँ चुक जाते है। दक्षिणी एशिया, खासकर भारत को वरदान मिला है की हम एक साल में ६ मौसम का आनंद ले सकें । परन्तु हर मौसम बदलने पर हमें वायरल का वार सहन करना पड़ता है और बच्चे बीमार हो जाते है। यह बरसात व ठण्ड के मौसम में ज्यादा देखा गया है।
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चलिए देखते है हम अपने आप को और परिवार को, घरेलु नुस्खों से कैसे सुरक्षित रख सकते है। यद्यपि यह नुस्खे हमेशा करने पर, हम अपने परिवार सदस्यों का स्वास्थ ठीक रख सकते है।
निम्नलिखित काढ़ा एक व्यक्ति के लिए है , आप अपने हिसाब से परिवार के सदस्यों अनुसार इसमें बदलाव कर सकते है।
१. एक हरा आँवला (बिना बीज के)
२. तुलसी के ७ पत्ते
३. पुदीना के ७ पत्ते
४. ७ काली मिर्च
५. आधा इंच अदरक
६. आधा इंच हरी हल्दी (ठण्ड के मौसम में ज्यादा मिलती है )
ऊपर दी हुई साड़ी चीजों को कुचल लें और १ गिलास पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर उसे छानले। इस काढ़े को गरम ही सेवन करे। सुबह खाली पेट लेना चाहिए और इस ग्रहण करने के पश्चात आधे घंटे तक कुछ भी न लें।
हर दो अथवा तीन के अंतर पर आप ले सकतें है। यद्यपि बहुत ठण्ड होने पर, इसे प्रति दिन लिया जा सकता है।
नोंध : जो व्यक्ति रोज गौ मूत्र का सेवन करता है, उसे यह काढ़ा लेने की आवस्यकता नहीं होती। :-)
धन्यवाद ...
- गव्यसिद्धा अमिताभ भटनागर
amitabh_bhatnagar@gavyachetna.com
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